चरखी दादरी – Charkhi Dadri

Introduction to Charkhi Dadri District of Haryana

हरियाणा के मध्य पश्चिम भाग मैं स्थित है। इसके पूर्व में रोहतकएवं झज्जर जिला है, और इसके उत्तर में भिवानी जिला, और दक्षिण में महेंद्रगढ़ जिला तथा पश्चिमी राजस्थान राज्य है। प्रदेश सरकार द्वारा नवगठित 22वां जिला चरखी दादरी अपने अतीत में समृद्ध विरासत, परंपराएं समेटे हुए हैं। 

इस क्षेत्र का उद्भव महाभारत काल से माना जाता रहा है। किंवदंतियों के अनुसार जब कुरुक्षेत्र मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत युद्ध के लिए सेनाओं का जमावड़ा लगना शुरू हुआ तो पांडव सेना में एक सीवर वर्तमान दादरी नगर के श्याम सर तालाब के नजदीक लगाया गया था। उस समय के यहां पर प्राचीन तलाब, कुएं इत्यादि स्थित है। 

सन 1192 मैं जब मोहम्मद गोरी ने हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया तब उनका छोटा पुत्र कंवर बिलावरज चौहान, वीर बिलहन अजमेर से पारिवारिक कलह के कारण अपने कुछ साथियों व परिजनों को साथ लेकर इस इलाके में आया था और यहां नगर की स्थापना की थी। उन्हें यहां पर तपस्वी संत स्वामी दयाल जी का आशीर्वाद एवं संरक्षण मिला। आरंभ में इस क्षेत्र में रावलाथी गांव से लेकर कासनी तक एक बहुत बड़ी झील थी। इसमें काफी संख्या में मेंढक हुआ करते थे। जिन्हें संस्कृति में दादुर कहा जाता है। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम बाद में चरखी दादरी रख दिया गया।

स्थिति : यह जिला हरियाणा राज्य के मध्य पश्चिमी भाग में स्थित है (भिवानी  से अलग होकर बना है)।

मुख्यालय : निश्चित नहीं है
स्थापना : 18 अक्टूबर 2016 को हरियाणा कैबिनेट ने प्रदेश में 22वें जिले के रूप में चरखी दादरी को मंजूरी दी थी। 18 सितंबर 2016 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चरखी दादरी को जिला बनाने की घोषणा की थी (HSSC के अनुसार 16 नवंबर 2016 को जिला बनाया गया है)।
क्षेत्रफल : कोई निश्चित क्षेत्रफल नहीं है
विधानसभा : बाढ़डा, दादरी
उपमंडल : बौंद्द कला, बाढ़डा, दादरी
खंड : बौंद्द कला, बाढ़डा, दादरी
लिंगानुपात : 852 महिलाएं /प्रति हजार पुरुष
साक्षरता दर : 70%
प्रमुख फसलें : गेहूं, कपास, बाजरा, तिलहन
प्रमुख उद्योग : कपास, तेल, वस्त्र उद्योग, हल्के निर्माण उद्योग।

पर्यटक स्थल :-

स्वामी सर तालाब (इसे श्याम सर के नाम से भी जाना जाता है), पीर मुबारक शाह की दरगाह (कलियाना)
कपूरी की पहाड़ियां, इमलोटा मंदिर, रंगीला हनुमान मंदिर।

महत्वपूर्ण तथ्य:-

अंग्रेजों के दमन का विरोध :-

अंग्रेजों व रियासत के दमनकारी नीतियां दादरी के लोगों की विद्रोही प्रवृत्ति का दमन नहीं कर पाई। देश की आजादी की आधुनिक स्वतंत्रता संग्राम में दादरी देश की रियासतों के खिलाफ चलने वाले प्रजामंडल आंदोलन का मुख्य केंद्र बना था। देश के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, स्वर्गीय रामकृष्ण गुप्ता, हीरा सिंह चिनारियां, महाशय मंसाराम, राजा मेहताब सिंह, निहाल सिंह, बनारसी दास गुप्ता, राजेंद्र कुमार इत्यादि प्रजामंडल आंदोलन के प्रमुख नेता थे। जींद रियासत के खिलाफ लोगों ने विद्रोह कर दादरी के किले पर कब्जा कर लिया था तथा मेहताब सिंह को यहां का राजा घोषित कर दिया था।

जींद रियासत में मिलाया :-

1857 की क्रांति में असफल होने के बाद अंग्रेजों ने दंड स्वरूप इस क्षेत्र को झज्जर रियासत से अलग कर जींद रियासत में मिला दिया। इसके पश्चात अगले 90 वर्षों तक यहां अंग्रेजों की छत्रछाया में जींद रियासत की हुकूमत चलती रही।

सबसे बड़ा सीमेंट कारखाना :-

सन 1939 में सेठ राम किशन डालमिया ने जर्मनी के सहयोग से दादरी में सीमेंट कारखाने की स्थापना की थी। जिसे उत्तर भारत का सबसे बड़ा सीमेंट कारखाना माना गया है। उस समय दादरी का नाम डालमिया दादरी पड़ गया था। देश की आजादी के बाद जब रामकृष्ण गुप्त सांसद बने तब उन्होंने सन 1958 में इस क्षेत्र के साथ चरखी गांव को जुड़वा कर यहां का नामकरण चरखी दादरी कर दिया। 23 जून 1981 को सीमेंट कॉरपोरेशन ने इसे अधिग्रहित किया और इसकी क्षमता 500 मेट्रिक टन प्रतिदिन की है।

Note :-

  • दादरी जिला दिल्ली से 105 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, 
  • यहाँ सीमेंट फैक्ट्री दादरी (1939) की में स्थापित गई थी।
  • गीता फोगाट, विनेश फोगाट (कुश्ती खिलाड़ी) दादरी से संबंध रखती हैं, 
  • चरखी दादरी विमान दुर्घटना 12 नवंबर 1996 को हुई थी।

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