हरियाणा के भक्ति कवि
सूरदास : इनका जन्म फरीदाबाद के सीही ग्राम में हुआ था , ये प्रज्ञाचक्षु कृष्ण भक्ति काव्य के रचियता और गायक हैं।
निगाही : पानीपत की तीसरी लड़ाई के प्रत्यक्षदर्शी, जिन्होंने सेनानायक भाऊ और भरतपुर के राजा जवाहरमल पर साका लिखकर जन-जन को गाकर सुनाया।
पंडित शंभूदास : कृष्ण भक्ति काव्य के बहुत बड़े कवि और गायक थे। पंडित जी जींद के महाराजा के दरबारी कवि थे और हरियाणा के दादरी जिला में रहते थे, जो की पहले भिवानी जिले का एक हिसा। पंडित शंभुदास सूरदास जी के लगभग समकालीन थे।
पंडित रविस्वरूप उर्फ रबीसरूप : गांव निंदना रोहतक। मस्त और घुमक्कड़ आशु कवि थे। एक बार गई रागिनी को दोबारा नहीं गाते थे।
स्वामी भीष्म : आर्य समाजी प्रचारक व भजनीक, ।
हरिकेश पटवारी : जिला जींद के गांव धनोरी में जन्मे सरकारी राजस्व विभाग में पटवारी तथा अपने काव्य रचना में भगवान पर भी व्यंग किया।
मुंशी राम : गांव जांडली जिला फतेहाबाद समाज सुधारक वेद धर्म संस्कृति पर रागनियां-किस्से बनाकर खूब गए।
पंडित मुंशीराम : बुआना, जींद। ये अच्छे भजनी व गौशाला प्रचारक थे।
कृष्ण चंद तार बाबू : गांव रत्ता खेड़ा, सफीदों (जन्म सन 1903) देहांत सन 1965।
फौजी मेहर सिंह : गांव बरोणा, जिला सोनीपत, में बहुत सुरीले और देशभक्त गायक थे, जिन्होंने कई सागों के किस्से व फुटकर रागनियां लिखी व गाई। वे आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे हैं। तभी तख्त पर चढ़कर नहीं गाया लेकिन सभी सांगी इनकी धाक मानते थे। जन्म सन 1918 तथा मृत्यु दिसंबर सन 1944 में हुई।
पंडित जगदीश चंद वत्स : हरियाणवी साहित्य के लेखक एवं लोक कवि है। जन्म गांव एंचरा खुरद जून सन 1916 तथा मृत्यु मई सन 1997 में हुई।
मोहर सिंह : कव्वाली, रेवाड़ी से संबंध रखते हैं।
जोहर सिंह : जसराणा।
पंडित श्रीचंद शर्मा : गांव गांगोली, जिला जींद। सुरीले भजनी व प्रचारक रहे हैं इनका जन्म सन 1929 में हुआ था।
धनसिंह जाट : पुठटी हिसार।
पंडित कृष्ण चंद शर्मा : गांव सिसाना, जिला सोनीपत में जन्म। फौजी मेहर सिंह के शिष्य व आजाद हिंद फौज से आने के बाद पुलिस में सब-इंस्पेक्टर। इन्होंने लगभग 18-20 सॉगों के किस्से व सैकड़ों फुटकर रागनियां लिखी है जो बेहद पसंद की जाती हैं।
पंडित सत्यनारायण विशिष्ट : भालौठ।
घीसाराम : धामड, जिला रोहतक लोक कवि व गायक।
जिया नंद : ब्राह्मणवास, जिला रोहतक।
जगन्नाथ : सिमचाणा, सांगों के कई किस्से लिखे हैं तथा सुरीले गायक हैं। हरियाणा में घडुवा-बैंजो की गायकी के जनक माने जाते हैं।
पंडित सुधाराम : कैथल।
पंडित साधुराम उर्फ स्वामी नारायण गिरी : गांव बारना, कुरुक्षेत्र। धार्मिक व आध्यात्मिक भजनों के लेखक थे। जन्म सन 1904 तथा मृत्यु सन 1989 में हुई।
तारादत्त विलक्षण : अलेवा, जिला जींद। विकास-गीतों व प्रदेश स्तुति गान के लेखक। इन्होंने हरियाणवी में गीता लिखी है।
पंडित रामेश्वर दयाल शास्त्री : हरियाणवी रामायण के रचियता – पटोदी (गुड़गांव)।
जागे लुहार : मदीना, जिला रोहतक। सुरेली भजनीक थे।
खेरदीन : गंगाणा।
भारतभूषण सांघीवाल : इनका वास्तविक नाम श्री नारायण शास्त्री है। गांव सांघी, जिला रोहतक में 28 फरवरी सन 1932 में जन्म हुआ तथा हरियाणवी, हिंदी व संस्कृत में कई किस्से लिखें तथा रेडियो के लिए रूपक व सांग भी लिखे हैं।
डॉ. मांगेराम शर्मा : गांव बालंद, जिला रोहतक। कई धार्मिक किस्से व भजन लिखे हैं तथा अच्छे भजनीक हैं।
हरध्यान सिंह : चेलावास, महेंद्रगढ़। लोक संपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक व सुप्रसिद्ध लेखक, गायक रहे हैं।
पंडित किशनचंद शर्मा : खुंगाई, जिला झज्जर।
(जन्म 1939, मृत्यु 2007) लोक संपर्क विभाग में लेखक के पद पर थे। इन्होंने रेडियो के लिए भी अनेक संगीत रूपक व सांग लिखें। “झूलों के रंग गीतों के सग” संगीत रूपक आकाशवाणी दिल्ली में पुरस्कृत। विकास गीत व सामाजिक बुराइयों से संबंधित गीत लिखे, अनेकों ऑडियो केस्ट व सी. डी. बनाई है।
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