Introduction to Kaithal District of haryana
हरियाणा की उत्तर दिशा में स्थित है। इसके उत्तर- पश्चिम में पंजाब, पूरब में करनाल व दक्षिण में जींद जिला स्थित है। पुराणों के अनुसार इस जिले की स्थापना युधिष्ठिर ने की थी। इस जिले को हनुमान का जन्म स्थल भी माना जाता है। इसीलिए इस का प्राचीन नाम कपिस्थल था। मान्यता के अनुसार इसका नाम ऋग्वेद कथा संहिता के रचयिता कपिल ऋषि के नाम पर भी पड़ा हो सकता है।
यह जिला करनाल मार्ग पर स्थित मुंदड़ी गांव में लव कुश महातीर्थ के कारण भी इसकी की अलग पहचान बनती है। राधा कृष्ण सनातन धर्म कॉलेज कैथल का सबसे पुराना कॉलेज है; जो सन 1954 में बनवाया गया था। इसके अलावा यहां की राष्ट्रीय विधा समिति ने 1970 में महिलाओं के द्वारा इंदिरा गांधी महिला विश्वविद्यालय की नींव रखी।
स्थिति : हरियाणा के उत्तर भाग में स्थित (कुरुक्षेत्र से अलग होकर बना था लेकिन शुरुआत में करनाल से अलग हुआ था)
मुख्यालय : कैथल
स्थापना : 1 नवंबर 1989
क्षेत्रफल : 2317 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 10,72,861 (2011 के अनुसार)
उपमंडल : गुहला व कलायत
तहसीलें : कलायत, फतेहपुर पुंडरी, गुहला
उप तहसीलें : राजोद, ढांड, सिवान
खंड : गुला चीका, पुंडरी, कलायत, राजोद, सिवान
पर्यटक स्थल : अंजना का टीला, नवग्रह कुंड, बाबा लदाना मेला, पुंडरीक, गुरुद्वारा नीम साहिब, गुरुद्वारा मंजी साहिब शेख तैयब का मकबरा, ठंडी पुरी की समाधि, फरल, ब्रीक बावड़ी।
प्रमुख फसलें : गेहूं, चावल, तिलहन, गन्ना, कपास
प्रमुख उद्योग : हथकरघा, चिनी, कृषि उपकरण।
लिंगानुपात : 880 महिलाएं/प्रति हजार पुरुष
साक्षरता दर : 70%
प्राचीन नाम : कपिस्थल
उपनाम : गुरुद्वारों का शहर, छोटी काशी।
महत्वपूर्ण स्थल :-
नवग्रह कुंड :-
इस जिले के पुरातत्व तीर्थों में नवग्रह कुंड का विशेष महत्व है। महाभारत के समय भगवान श्री कृष्ण ने नवग्रह यज्ञ का अनुष्ठान धर्मराज युधिष्ठिर के हाथों से करवा कर नवग्रह कुंडो (सूर्य कुंड, चंद्र कुंड, मंगल कुंड, बुध कुंड, बृहस्पति कुंड, शुक्र कुंड, शनि कुंड, राहु कुंड और केतु कुंड) का निर्माण करवाया था। इन कुंडों में स्नान के महत्व का कारण कैथल को “छोटी काशी“ भी कहा जाता है।
पुंडरी :-
इसका नाम पुंडरीक ऋषि; जिनकी यह तपोस्थली मानी जाती है के नाम पर पड़ा। मान्यता यह है कि सतयुग से आज तक कभी भी इस सरोवर का जल खत्म नहीं हुआ है।
ग्यारह रुद्री शिव मंदिर :-
इस मंदिर में महाभारत काल में अर्जुन ने शिव को प्रसन्न कर उनसे पशुपात अस्तर प्राप्त किया था। इस मंदिर के वर्तमान भवनों का निर्माण लगभग ढाई सौ वर्ष पहले तत्कालीन शासक उदय सिंह की पत्नी ने करवाया था।
रजिया सुल्तान का मकबरा :-
नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरूर रोड पर भारत की साम्रगी रजिया सुल्तान का मकबरा स्थित है। इल्तुतमिश की पुत्री रजिया और उसके पति का कत्ल उसी के सरदारों द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था।
फरल (फलकी वन) :-
महाभारत एवं पुराणों के अनुसार प्रसिद्ध फलकी वन इसी स्थान पर था। फलकी वन और फलकी तीर्थ दोनों दृषद्वती नदी के तट पर थे। यह मिश्रक स्थल भी है। क्योंकि मुनि व्यास ने देवताओं के लिए यहां तीर्थों को एकत्रित किया था।
गीता मंदिर :-
पौराणिक तीर्थ पर जाते समय मर्दाने घाट के साथ बने विशाल चबूतरे के पास ही यह विशाल गीता मंदिर स्थित है।
अंजनी का टीला :-
इसे हनुमान जी की जन्मस्थली भी माना जाता है। हनुमान जी की माता अंजनी को समर्पित अंजनी का टीला यहां के दर्शनीय स्थलों में से एक है।
मीरा नौबहार पीर की मजार (गुला चीका) :-
गुला चीका बाबा मीरा नौबहार पीर की मजार 960 वर्ष पुरानी बताई जाती है बाबा मीरा के 8 भाई थे जिनमें बाबा मीरा सबसे बड़े थे जिसके कारण इन्हें बड़ा पीर भी कहा जाता है।
Note :-
- कैथल में सरस्वती वन्य जीव अभ्यारण है।
- इस जिले को वानरों का वास स्थल, हनुमान नगरी, इंटो की बावड़ी, प्राचीन किला बालू, बाबा शाह कलाम की मजार, गुरद्वारा टोक्यो वाला, अरनौली का टीला आदि कैथल में स्थित है।
- यहाँ पर बने मंदिरों का वास्तु शास्त्र अजंता एलोरा की गुफाओं से मेल खाता है।
- कैथल जिले में 98 किस्म की चावल की मिले हैं।
- इसके चारों ओर 8 दरवाजे (सिवन गेट, माता गीत, चंदाना गेट, प्रताप गेट, क्योंडक गेट, डोगरा गेट, कोठी गेट, रेलवे गेट) है।
May you like :-