Introduction to Karnal
हरियाणा राज्य के मध्य-पूर्वी भाग में स्थित है। इस के पूर्वी भाग में उत्तर प्रदेश जिला, दक्षिणी भाग में जींद व पानीपत जिला, पश्चिमी भाग में कैथल जिला, उत्तरी भाग में कुरुक्षेत्र जिला और उत्तर पूर्व में यमुनानगर जिला स्थित है। दंतकथा के अनुसार इस शहर को महाभारत के राजा करण ने बसाया था। करनाल का प्राचीन नाम ‘करणलय’ हुआ करता था।
सन 1739 में नादिर शाह की मोहम्मद शाह के खिलाफ जीत के बाद यह शहर सुर्खियों में आया। जींद के राजा ने सन1763 में इस शहर को अपने कब्जे में ले लिया और सन 1797 ईस्वी को जॉर्ज थॉमस ने इस पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। इस जिले में अंग्रेजो के द्वारा यहां पर छावनी भी बनाई लेकिन 1841 में मलेरिया फैलने से इस शहर को छोड़कर चले गए। करनाल जिले की सीमाएं पानीपत, कैथल तथा कुरुक्षेत्र जिले की सीमा से लगती है।
स्थिति : हरियाणा के मध्य पूर्व में स्थित है।
मुख्यालय : करनाल
स्थापना : 1 नंबर, 1966
क्षेत्रफल : 2520 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 15,06,323 (2011 के अनुसार)
जनसंख्या घनत्व : 597 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
लिंगानुपात : 887 महिलाएं/प्रति हजार पुरुष
साक्षरता दर : 74.73%
उपमंडल : आसंथ, इंद्री, घरौंडा
तहसीलें : असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री, घरौंडा
उप तहसीलें : निसिंग, बल्ला, निगंधु
खंड : घरौंडा, इंद्री, नीलोखेड़ी, चिडालो, निसिंग, कुंजपुरा, असंध
प्रमुख नदियां : यमुना (जिले के पूर्वी भाग में)
प्रमुख उद्योग : चीनी, जूता, वनस्पति घी आदि
प्रमुख स्थल : करण झील, औसिस (उचाना), पक्का पुल मजार, एडम हाऊस/एक्टर लॉनी हाऊस, राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान।
उपनाम :-
धान का कटोरा, पेरिस ऑफ हरियाणा, नवीनतम पद्धति से बनाया गया शहर, करण नगरी, एग्रो हब ।
जिले में अनेक बड़े उद्योग हैं : जिसमें लिबर्टीशूज लिमिटेड फुटवेयर, लिबर्टी इंटरप्राइजेज, चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स बहुत अधिक प्रसिद्ध उद्योग हैं। सन 1961 में सैनिक स्कूल कुंजपुरा की स्थापना इस जिले में की गई थी। यहां स्थित पॉलिटेक्निकल संस्थान, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, शुगर केन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, स्माल इंडस्ट्रीज सर्विस इंस्टिट्यूट तथा गेहूं शोध निदेशालय आदि ने करनाल को नई पहचान दी है।
महत्वपूर्ण स्थल:-
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान :-
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, की स्थापना मूल रूप से इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हसबेंडरी एंड डायरिंग के रूप में बेंगलुरु में सन 1923 में हुई थी। वर्ष 1936 में इसका समुचित विस्तार कर इसे इंपीरियल डायरी संस्थान का नाम दिया गया था। सन 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का मुख्यालय इसके वर्तमान स्थल करनाल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
माता प्रकाश कौर मूक, बाधिर वाणी विकलांग केंद्र :-
यह केंद्र गूंगे बहरे बच्चों को शिक्षित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है।आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 22 अगस्त 2002 को हरियाणा के मुख्यमंत्री ने छात्रावास का शिलान्यास किया था।
गेहूं शोध निदेशालय :-
सन 1965 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अर्थात आई.सी.ए.आर. ने “सर्व भारतीय गेहूं सुधार परियोजना” की शुरुआत की। वर्ष 1978 में इस परियोजना को गेहूं शोध निदेशालय में परिवर्तित कर दिया गया।उस समय निदेशालय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान या आई.ए.आर.आई. के अधीन था। सन 1990 में निदेशालय को आई.ए.आर.आई. से अलग कर निदेशालय परिसर को इस शहर में स्थानांतरित कर दिया गया।
कर्ण तलाब :-
राजा दुर्योधन के परम मित्र और सूर्य के पुत्र राजा कर्ण के नाम से “कर्ण ताल” का निर्माण किया गया था।
मधुबन पुलिस प्रशिक्षण परिषद :-
राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक पर करनाल से 8 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थित है।
देवी मंदिर (सालवन) :-
करनाल जिले के सालवन गांव को मिलो का गांव भी कहा जाता है। इस गांव में महाराज युधिस्टर ने दशाश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था। यह गांव कभी राजा सालीवन की राजधानी हुआ करता था।
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (Central Soil Salinity Research Institute (CSSRI) :-
कृषि योग्य जमीन से लवणता दूर करने की दिशा में केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अर्थात आई.सी.ए.आर. के अधीन की गई थी। संस्थान का मुख्यालय करनाल के जरीफा विरां गांव में काछवा रोड पर स्थित है करनाल स्थित मुख्यालय के अलावा संस्थान के अधीन 3 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र हैं — केनिंग टाउन (पश्चिम बंगाल) स्थिति केंद्र समुद्र तटीय लवणीय मृदा की समस्याओं पर अनुसंधान का कार्य करता है। भरूच (गुजरात) स्थित क्षेत्रीय केंद्र काली मिट्टी की लवणता समस्याओं के लिए और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) स्थित क्षेत्रीय केंद्र गंगा तटीय अल्युवियाल सोडिया भूमियों पर अनुसंधानरत है।
मामा-भांजा मुगलसराय (घरौंडा) :-
यह सराय दिल्ली, लाहौर (तत्कालीन मार्ग) पर घरौंडा में 1632 ई. में सम्राट शाहजहां के शासनकाल मैं खान फिरोज ने विश्राम गृह के रूप में बनवाई थी। भारत सरकार की अधिसूचना संख्या 1083 के अनुसार 1 दिसंबर 1914 को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था।
करण झील :-
जिला करनाल में पर्यटन विभाग ने शेरशाह सूरी मार्ग पर अंबाला की ओर से लगभग 4 किलोमीटर दूर पश्चिम में यमुना नहर के दोनों और लगभग 60 कनाल भूमि पर करण झील तथा आयोसिस नामक पर्यटन स्थल विकसित किया है।
दरगाह कलंदर साहब :-
इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के सुपुत्र खिजार खान और शादी खान द्वारा करवाया गया था। बू-अली शाह कलंदर सलार फकीरद्दीन के पुत्र थे और अनुमान है कि उनका जन्म 1190 ई. में हुआ था।
इब्राहिम लोदी का मकबरा :-
यह दरगाह पानीपत के तहसील कार्यालय के समीप स्थित है पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी अपने चाचा बाबर के साथ लड़ा था।उसका यहीं पर वध कर दिया गया था और यहीं पर दफना दिया गया था।
तरावड़ी :-
मध्यकाल में 1191 व 1192 में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के माध्यम तराइन का प्रथम व द्वितीय युद्ध इसी तरावड़ी क्षेत्र में हुआ था। जिसमें पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान जीत गए थे तथा दूसरे युद्ध में वे मोहम्मद गोरी से हार गए थे।
सेंट जेम्स चर्च टावर :-
प्राचीन इतिहास का धरोहर सेंट जेम्स चर्च टावर करनाल जिले में स्थित है।इस टॉवर का निर्माण 1806 ईसवी में हुआ था। उस समय करनाल ब्रिटिश सैनिकों की छावनी हुआ करता था।
कुंजपुरा :-
कुंजपुरा करनाल से उत्तर पूर्व दिशा में 6 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना पठान शासक निजावत खान ने की थी। उन्हीं की याद में एक जलाशय का निर्माण यहां पर किया गया है।
सीतामाई सीमागढ़ का मंदिर :-
14 वर्ष वनवास के बाद भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मण ने सीता को जिस जंगल में छोड़ा था; उसका नाम “लाड़वन” था। इस जंगल की पश्चिमी दिशा में महर्षि वाल्मीकि आश्रम था। जहां सीता अपने वनवास के दौरान रही थी। माना जाता है कि इसी स्थान पर सीता जमीन में समा गई थी। आज उसी स्थान पर “सीता माई” मंदिर निर्मित है।
गांधी मेमोरियल हॉल :-
महारानी विक्टोरिया की याद में बने इस होल का नाम स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी के नाम पर गांधी मेमोरियल हॉल रख दिया गया था।
अलर्ट पार्क : इस शहर के सौंदर्य करण हेतु सेक्टर 7-8 मैं लगभग 56 एकड़ क्षेत्रफल में निर्मित है।
अदिति का मंदिर :-
यह मंदिर करनाल जिले के अमीना गांव में स्थित है।इसी स्थान पर अदिति ने सूर्य को जन्म देने के पूर्व तपस्या की थी। यहां अभिमन्यु का किला भी स्थित है।
Note : –
- इस जिले का संबंध महाभारत के कर्ण से है।
- यहां के सालमन गांव को मेलों का गांव कहा जाता है।
- सीता माई मंदिर हरियाणा का सबसे पहला बागवानी विश्वविद्यालय, अंजन थली इस शहर में स्थित है।
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