खेलों से संबंधित पुरस्कार
राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार :-
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का प्रारम्भ वर्ष 1991-92 से किया गया यह पुरस्कार विभिन्न खेलों के क्षेत्र में किसी एक खिलाड़ी अथवा टीम द्वारा अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रदान किया जाता है। इसके तहत नगद पुरस्कार 7.5 लाख रुपए दिया जाता है। यह पुरस्कार सर्वप्रथम विश्वनाथ आनंद को प्रदान किया गया।
मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी :-
यह ट्रॉफी 1956-57 में शुरू की गई। यह चलती वैजती (रॉलिंग ट्रॉफी) है और यह अंतर विश्वविद्यालय टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को प्रदान की जाती है। इसे फिर से हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को ट्रॉफी की प्रतिकृति दी जाती है। इसके अलावा विश्वविद्यालय को 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है। प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले को 5लाख रुपए तथा तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले को 3 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए जाते हैं।
ध्यानचंद पुरस्कार :-
इसे वर्ष 2002 में गठित किया गया, इसमें नकद पुरस्कार ₹5,00,000 है। पुरस्कार उन खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए प्रदान किए जाते हैं, जिन्होंने अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और सक्रिय खेल जीवन से सन्यास लेने के बावजूद भी खेल की उन्नति के लिए योगदान करते रहते हैं। प्रत्येक वर्ष ज्यादा से ज्यादा 3 खिलाड़ियों को इस खेल तीन खिलाड़ियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
अर्जुन पुरस्कार :-
इसे 1961 में आरंभ किया गया और इसमें ₹5,00,000 का नगद पुरस्कार दिया जाता है। खिलाड़ी को न केवल उत्कृष्टता के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले 3 वर्षों में और उस वर्ष में जिसमें पुरस्कार की सिफारिश की गई है, लगातार अच्छा प्रदर्शन किया होना चाहिए, बल्कि नेतृत्व, खेल भावना और अनुशासन का भाव दर्शाया होना चाहिए। 2001 से यह पुरस्कार केवल उन विभागों में दिया जाएगा, जो निम्नलिखित श्रेणियों में आते हैं! 1.ओलंपिक खेल/ एशियाई खेल/ राष्ट्रमंडल खेल/ विश्व कप/ विश्व चैंपियन विभाग और 2. स्वदेशी खेल 3. शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों के लिए खेल। प्रत्येक वर्ष अधिकतम 15 अर्जुन पुरस्कार दिए जाते हैं।
द्रोणाचार्य पुरस्कार :-
इसे 1985 में आरंभ किया गया! इसमें उन विख्यात कोचों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने खिलाड़ियों और टीमों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने में समर्थ बनाया है। इसमें ₹5,00,000 का नकद पुरस्कार और गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा प्रदान की जाती है। 1 वर्ष में 5 से अधिक पुरस्कार नहीं दिए जा सकते हैं।
उत्कृष्ट खिलाड़ियों को पेंशन देने के लिए खेल कोष कार्यक्रम :-
यह कार्यक्रम 1994 में प्रारंभ किया गया। इसके अंतर्गत ओलंपिक खेल, विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल एवं पैरालिंपिक में स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक विजेता खिलाड़ियों को 30 साल की उम्र के बाद सक्रिय खेल जीवन से अवकाश लेने के बाद पेंशन देने का प्रावधान है।
यह पेंशन 30 वर्ष की आयु होने पर जीवन भर के लिए दी जाती है। इस योजना का संचालन जीवन बीमा निगम के जरिए किया जाता है।
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