इंटरनेट क्या है? – What is Internet

इंटरनेट का पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क (International Network) है। यह आपस में जुड़े एक-दूसरे कंप्यूटर नेटवर्कों की एक ग्लोबल सरचना है। इंटरनेट सारी दुनिया में एक जाल (Trap) की तरह फैला हुआ है। यह TCP/IP (Transmission Control Protocol/ Internet Protocol) प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए डाटा को पैकेट स्विचिंग के द्वारा आदान-प्रदान करता है। यह नेटवर्कों का नेटवर्क है, जो लाखों पब्लिक और प्राइवेट शैक्षणिक, उद्योगों तथा सरकारी नेटवर्कों को  फाइबर ऑप्टिकल केबल, तांबे की तारों, वायरलेस कनेक्शन तथा दूसरे तकनीकों से पुरे विश्व में विस्तार करता है। इंटरनेट कंप्यूटर पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय सूचनाओं का तंत्र है। इसे सूचना राजपथ (Information Super Highway) भी कहा जाता है।

इंटरनेट विभिन्न सूचना संसाधनों और सेवाओं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मेल, ऑनलाइन चैट, ऑनलाइन बैंकिंग, फाइल ट्रांसफर और शेयरिंग, ऑनलाइन गेमिंग, इंटरलिंक हाइपर टेक्स्ट दस्तावेज एवं वर्ल्ड वाइड वेब इत्यादि को वहन (Carry) करती है।

किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की सेवा लेनी होती है तत्पश्चात टेलीफोन लाइन के माध्यम से कंप्यूटर को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के सरवर से जोड़ा जाता है।

भारत में इंटरनेट सेवा का पहली बार आरंभ 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा आरंभ किया गया था। भारत में मुख्य लोकप्रिय इंटरनेट सेवा प्रधान करने वाली कंपनियां VSNL (विदेश संचार निगम लिमिटेड), BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड), MTNL (महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड), मंत्रा ऑनलाइन तथा सत्यम ऑनलाइन इत्यादि हैं। इन कंपनियों का भारत के अनेकों शहरों में DNS (डोमेन नेम सिस्टम) सरवर है।

DNS सर्वर एक कंप्यूटर है, जो दूसरे कंप्यूटर के डोमेन (Domain) नाम को IP (Internet Protocol) एड्रेस में अनुवाद करता है। वर्तमान समय में भारत में BSNL द्वारा दो माध्यमों से इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराई जाती है।

1. PSTN – Public Switched Telephone Network.

2. ISDN – Integrated Services Digital Network.

इंटरनेट का उपयोग उपकरण :-

1 पर्सनल कंप्यूटर

2 मॉडम

3 संचार माध्यम

4 इंटरनेट सॉफ्टवेयर या वेबसाइट ब्राउजर

5 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर

मॉडम – Modem :-

हमे इंटरनेट को टेलीफोन लाइन से जोड़ने के लिए मॉडम की सहायता लेनी पड़ती है। यह कंप्यूटर में चल रहे इंटरनेट ब्राउजर को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के बीच आवश्यक लिंक है। टेलीफोन लाइन पर एनालॉग सिग्नल भेजा जा सकता है, जबकि कंप्यूटर डिजिटल सिग्नल देता है। अत: इन दोनों को एक दूसरे के साथ जोड़ने के लिए मॉडम की आवश्यकता होती है, जो डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में तथा एनालॉग को डिजिटल सिगल में रूपांतरित करता है। यह मोडूलेटर-डिमोडूलेटर का संक्षिप्त रूप है। मॉडर्न के दोनों और कंप्यूटर और टेलीफोन लाइन जुड़ा होना आवश्यक है। मॉडम की स्पीड को BPS (Bits Per Second) में मापा जाता है। उपलब्ध स्पीड 9600 BPS, 28800 BPS, 33600 BPS है। इंटरनेट से जुड़ने की स्पीड (Connecting Speed) टेलीफोन सर्विस पर निर्भर करती है। आजकल टेलीफोन सेवा जो ISDN उपयोग करते हैं, 128 KBPS या इससे उच्च गति पर मॉडम को इंटरनेट से जोड़ने में सक्षम होता है। अत: मॉडम ऐसी डिवाइस है जो डाटा को प्लस में परिवर्तित करता है तथा उन्हें टेलीफोन लाइन पर संप्रेषित करता है।

इंटरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है। कुछ प्रमुख वेब ब्राउज़र निम्नलिखित हैं —

1 Netscape Navigator

2 Microsoft Internet Explorer

3 Mozilla Firefox

4 NCSA Mosaic

5 Opera

6 Safari

7 Chrome

इन सभी सॉफ्टवेयर का उपयोग करके हम लोग इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं। तथा वेब साइट से अपनी पसंद की जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। वेब ब्राउज़र का उपयोग कर हम किसी भी विशेष पेज या लोकेशन पर उसका पता (Address) टाइप कर सकते हैं, इस पत्ते को URL (Uniform Resource Locator) कहते हैं। URL में उपयुक्त हो रहे टूल्स और इंटरनेट पत्ते (Internet Address) जहां जानकारी मिल सकती है, दोनों मौजूद रहता है। जैसे —

URL : https://www.indianstudygk.com में टूल्स http है तथा इंटरनेट पता www.indianstudygk.com है।

वेब ब्राउज़र के उपयोग से वेबसाइट ब्राउज़र करना :-

सर्वप्रथम वेब ब्राउज़र खोलते हैं। यदि हम लोग इंटरनेट एक्सप्लोरर प्रयोग करते हैं तो Start > Program > Internet Explorer सिलेक्ट करते हैं। जब वेब ब्राउज़र खुल जाता है, तब हम स्वत: होमपेज से शुरू करते हैं। अधिकांश वेबसाइट में मेन पेज, होम पेज होता है जो शेष वेबसाइट पर जो के डोरवे (Door way) का काम करता है। होम पेज भी हम अपनी इच्छा अनुसार चुन सकते हैं या खाली रख सकते हैं। अब हम लोग जिस वेबसाइट का निरीक्षण (visit) करना होता है उसका यूआरएल टाइप कर उसे खोल सकते हैं। फल स्वरुप हमें उस साइट पर उपलब्ध सारी सेवाएं उपलब्ध हो जाती हैं। इस पेज के पीछे तेज पर जाने के लिए BACK बटन तथा आगे जाने के लिए FORWARD बटन का प्रयोग किया जाता है। परंतु यह बटन जिन पेजों को हम खोल चुके हैं उनके बीच ही काम करते हैं। टूल बार के HOME बटनपर क्लिक कर हम किसी भी वक्त होम पेज पर जा सकते हैं, या दूसरे URL टाइप कर दूसरे वेब पेज को खोल सकते हैं। वेबसाइट वेब पेजों, चित्र, ध्वनि एंव एनिमेशन आदि का समूह है तथा किसी भी वेबसाइट का नाम WWW से आरंभ होता है। जिस साइट का हम प्रयोग प्रयोग करते हैं उसके URL को बुकमार्क कर सकते हैं।

इंटरनेट का प्रयोग – Uses Of Internet :-

1. सूचनाओं की खोज (Search for information) : इंटरनेट पर बहुत सारी साइट्स होती है जिनमें लिटरेचर, सिनेमा, शेयर्स, गीत का भंडार और भी बहुत सारी जानकारियों का भंडार इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होता है। लेकिन अगर हम इनको ढूंढ पाने में सक्षम नहीं होते तो इंटरनेट पर सर्च टूल भी होता है, जिन पर इन्हें टाइप कर इनका url पता कर सकते हैं तथा ब्राउज़ कर सकते हैं। कुछ सर्च इंजन निम्नलिखित हैं — गूगल (http://www.google.com), याहू (http://www. Yahoo.com) इत्यादि। साइबर 411 एक विशाल सर्च इंजन है, जो 16 सर्च इंजन के परिणाम को मिला कर देता है और यह बहुत तीव्र गति से कार्य करता है। खोज एक भारतीय सर्च इंजन है।

2. इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail) : यह व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला इंटरनेट सेवा है जिसे संक्षिप्त में ई-मेल (e-mail) कहते हैं। ई-मेल के दो भाग होते हैं यूजर नाम तथा डोमेन नाम। यूजरनेम में कहीं भी स्पेस नहीं हो सकता, इसके द्वारा संदेश को तुरंत भेजा या प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए प्रत्येक उपयोगकर्ता के पास ई-मेल ऐड्रेस तथा उसका पासवर्ड होता है। जो ईमेल अकाउंट बनाकर प्राप्त किया जाता है। पासवर्ड से उपयोगकर्ता अपनी ई-मेल की गोपनीयता बरकरार रख सकता है। ई-मेल का Subject संदेश के विषय वस्तु के बारे में बताता है। ई-मेल अकाउंट में एक स्टोरेज एरिया होता है जिसे मेल बॉक्स कहते हैं। प्रेषित मेल प्राप्तकर्ता के मेल बॉक्स में चला जाता है, जिसे खोलकर प्राप्त कर संदेश प्राप्त करता है। ई-मेल के साथ ग्राफ, ध्वनि, फाइल या फोटो जोड़ कर भेजा जा सकता है जिसे Attachments कहते हैं।यह डाक टिकट की आवश्यकता को घटाता है तथा संदेश को भेजने तथा प्राप्त करने में लगे समय की बचत करता है। ड्राफ्ट फोल्डर संदेशों की कॉपियां रखता है। ईमेल का जन्मदाता आर. टॉमलिंसन (R. Tomlinson) है। पहली फ्री ई-मेल सेवा का जन्मदाता सबीर भाटिया है जिन्होंने जून 1996 में हॉटमेल सेवा शुरू की थी।

भारत में प्रमुख ईमेल प्रदान करने वाले साइट www.rediffmail.com, www.Yahoomail.com, www.gmail.com, www.hotmail.com इत्यादि है।

3. दूसरे व्यक्ति से वार्तालाप करना (Chat With Other Person) : यदि हम अनजान व्यक्ति से बात करना तथा नए दोस्त बनाना पसंद करते हैं तो इंटरनेट सबसे अच्छा माध्यम है।चैट प्रोग्राम के द्वारा बिना किसी व्यक्ति की भौगोलिक स्थिति जाने हुए हम बातचीत कर सकते हैं। चैट के अंतर्गत यूजर किसी विषय पर लिखित रूप से चर्चा करते हैं।इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों का प्रयोग कर दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा वार्तालाप करना चैटिंग कहलाता है।

4. टेलनेट (Telnet) : टेलनेट प्रोग्राम का प्रयोग कर हम दूसरे कंप्यूटर को जोड़कर ऐसे कार्य कर सकते हैं, जैसे हम किसी कीबोर्ड के पास बैठे हैं। हम अपने कंप्यूटर द्वारा दूर स्थित कंप्यूटर पर कार्य कर सकते हैं तथा उसके संसाधनों का प्रयोग कर सकते हैं। इसे रिमोट लॉगिन भी कहा जाता है।

5. यूज नेट (Usenet) : यह लोगों का समूह है जो सभी जगह मान्यता प्राप्त एक या अधिक लेबल News Group के द्वारा विषय (article) की अदला बदली करते हैं।यूज नेट अपने उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध ग्रुप के सेट के बारे में निर्णय लेते हैं। यह सेट हर साइट के लिए भिन्न-भिन्न होते हैं।

6. वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) : वर्ल्ड वाइड वेब www और इंटरनेट दोनों चीजें हैं परंतु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पर जो का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है। जिसे वेबपेज कहते हैं। वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कंप्यूटर में उपयुक्त एक भाषा है। HTML हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज का संक्षिप्त रूप है। हर पेज टेक्स्ट, चित्र, ध्वनि, क्लिप, वीडियो क्लिप, एनिमेशन और विभिन्न चीजों का संयोग है।वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक,जिसे अक्सर लिंक कहा जाता है हाइपरलिंक पर माउस प्वाइंटर से पॉइंट करने पर प्वाइंटर का आकार हाथ जैसा हो जाता है। हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं, हमारा ब्राउज़र लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है। वेब पेज को फ्री लोड करने के लिए फिर लोड बटन का प्रयोग करते हैं। वर्ल्ड वाइड वेब का विकास टीम बर्नरस ली ने 1989 ने किया था।

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7. फाइल ट्रांसफर प्रोटोकोल (FTP) : यह इंटरनेट पर जुड़े दो कंप्यूटरों के बीच फाइल स्थानांतरण करने की सुविधा है।वेब ब्राउज़र का प्रयोग कर हम फाइल को डाउनलोड तो कर सकते हैं, पर अपलोड नहीं कर सकते। FTP अनुप्रयोग हमें वेबसाइट पर फाइल अपलोड करने में सहायता करता है।

8. ई-कॉमर्स (E-Commerce) : ई-कॉमर्स बिना पेज के व्यापार जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज के द्वारा आदान-प्रदान है।ई-कॉमर्स के अंतर्गत वस्तुओं या सेवाओं की खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे — इंटरनेट के द्वारा होता है। यह इंटरनेट पर व्यापार है।

9. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) : यह इंटरनेट के द्वारा विभिन्न स्थानों पर ऑडियो या वीडियो डाटा संचारित करने के लिए तथा दो या दो से अधिक प्रतिभागियों के बीच एक सम्मेलन का आयोजन करने में सक्षम बनाता है।अर्थात दो या दो से अधिक व्यक्ति इंटरनेट के द्वारा ऐसे वार्तालाप कर सकते हैं जैसे वे आमने सामने बैठे हो। इनमें कंप्यूटर के साथ-साथ वीडियो कैमरा, माइक्रोफोन तथा स्पीकर की आवश्यकता होती है। यह एक वीडियो टेलीफोन की तरह काम करता है। Voice Conversation इंटरनेट टेलिफोनी के माध्यम से भी संभव है।

10. ऑनलाइन खरीदारी (Online Shopping) : ऑनलाइन खरीददारी की प्रक्रिया में उपभोक्ता उत्पादों या सेवाओं की खरीद इंटरनेट के माध्यम से करते हैं,तथा इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ता की मांगों को पूरा किया जाता है।

11. मनोरंजन (Entertainment) : इंटरनेट का उपयोग मनोरंजन के लिए भी किया जाता है जैसे- ऑनलाइन गेमिंग, सिनेमा, कहानियां, खेल, संगीत आदि का इंटरनेट पर असीम भंडार है।

12. ई लर्निंग (E-learning) : इंटरनेट का प्रयोग करके हम बिना क्लास रूम में गए कंप्यूटर के विषय में अध्ययन इन लर्निंग के माध्यम से कर सकते हैं। आज के समय में ई लर्निंग का बहुत महत्व है। हम घर बैठे ई लर्निंग के जरिए किसी भी विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमारे पास एक कंप्यूटर और उसके साथ जुड़ा इंटरनेट होना अनिवार्य है। आज के समय में बड़े-बड़े कोचिंग इंस्टिट्यूट भी ई लर्निंग को बढ़ावा दे रहे हैं। जिसमें आप घर बैठे किसी भी विषय की कोचिंग ले सकते हैं। जिससे कि आपके इंस्टिट्यूट में आने जाने के समय की बचत होगी।

इंटरनेट संबंधी शब्दावली :-

1. URL (Uniform Resource Locator) : यह इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैंडर्ड तरीका है। यह इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का पता बताता है तथा उस सूचना के प्रोटोकॉल एवं डोमेन नाम को भी दर्शाता है। जैसे – https://indianstudygk.com में http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल है जिसका प्रयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर Indianstudygk.com नामक वेबसाइट पर जा सकते हैं।भारतीय जनता पार्टी भारत की पहली राजनीतिक पार्टी है जिसने इंटरनेट पर अपना वेबसाइट बनाया तथा भारत में सिक्किम राज्य ने सर्वप्रथम इंटरनेट पर टेलीफोन डायरेक्टरी उपलब्ध कराई।

2. TCP/IP (Transmission Control Protocol/ Internet Protocol) : यह नियमों का एक समूह है, जो इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह निर्णय करता है।यह दो कंप्यूटरों के बीच सूचना स्थानांतरित और संचार को संभव करता है।

3. अपलोड (Upload) : एक स्थानीय कंप्यूटर से दूसरे स्थित कंप्यूटर पर डाटा स्थानांतरित की प्रक्रिया अपलोड प्रक्रिया है। जब हम अपने कंप्यूटर से इंटरनेट पर दूसरे कंप्यूटर को उपयोग करने के लिए फाइल की प्रतिलिपि डालते हैं तो उस फाइल को अपलोड कर रहे होते हैं।

4. डाउनलोड (Download) : एक दूर स्थित कंप्यूटर या सरवर से एक स्थानीय कंप्यूटर के लिए डाटा हस्तांतरण की प्रक्रिया अर्थात जब हम अपने कंप्यूटर में इंटरनेट के प्रयोग से दूसरे कंप्यूटर या सर्वर से फाइल की प्रतिलिपि डाल रहे हैं उसे डाउनलोड कहते हैं।

5. गेटवे (Gateway) : यह संचार संयंत्र या प्रोग्राम है जो दो भिन्न-भिन्न प्रोटोकोल वाले नेटवर्क के बीच डाटा संप्रेषित करता है।

6. आई पी ऐड्रेस (IP ADDRESS) : आईपी एड्रेस 4 संख्याओं का एक समूह है जो डॉट (.) से अलग किया जाता है। जिसका एक भाग नेटवर्क का पता (Network Address) तथा दूसरे भाग नोड पता (Node Address) है। नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक नोड को आईपी एड्रेस खास तथा अलग-अलग होता है। उदाहरण IP-एड्रेस 202.43.34.123 में 202.43 नेटवर्क एड्रेस है तथा 34.123 Node Address है।

7. HTTP (Hyper Text Transfer Protocol) : यह इंटरनेट पर उपयुक्त एप्लीकेशन स्तर का प्रोटोकॉल है, जो वेबपेज के प्रसारण का निर्धारण करता है।

8. स्पैम (Spam) : इंटरनेट पर लोगों को संदेश या विज्ञापन बार-बार भेजना जिसका उन्होंने अनुरोध नहीं किया है, अर्थात अवांछित संदेश यह विज्ञापन लोगों के ईमेल बॉक्स में भेजना स्पैम कहलाता है। यह जंक ईमेल होती हैं।

9. डोमेन नेम (Domain Name) : एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साइट की पहचान बताता है। किसी इंटरनेट वेबसाइट का url के अंत में डॉट के बाद के नाम को डोमेन नेम कहते हैं। जैसे – https://www.indianstudygk.com में .com डोमेन नेम है। यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है। जैसे – .gov : भारतीय संस्था, .edu : शैक्षणिक संस्था, .net : नेटवर्क, .name : पर्सनल इत्यादि बहुत तरह के डोमेन नेम होते हैं।

कंप्यूटर का इतिहास – History of computer

10. सर्फिंग (Surfing) : इंटरनेट के द्वारा अपने पसंद तथा आवश्यकता के अनुसार साइट को ढूंढना एक्सप्लोरर करना सर्फिंग कहलाता है। इसके द्वारा इंटरनेट से आवश्यकता अनुसार लगभग हर सूचना प्राप्त की जा सकती है।

11. वायरस (Virus) : वायरस एक प्रोग्राम है जो हमारे कंप्यूटर सिस्टम में बिना हमारी इच्छा याद जानकारी के लोड हो जाता है।एक वायरस बार-बार खुद की प्रतिलिपि तैयार कर सकता है और उपलब्ध सारे मेमोरी का उपयोग कर सिस्टम की गति को धीरे या पूर्णता रोक सकता है।

कुछ वायरस कंप्यूटर की वोटिंग से स्वयं को जोड़ लेते हैं तथा जितनी बार कंप्यूटर बूट करता है वह उतने ही फैलता जाता है या कंप्यूटर को रिबट करता रहता है।यह कंप्यूटर के डाटा या प्रोग्राम को क्षति पहुंचाता है। हमारे कंप्यूटर में वायरस के आने का सामान्य तरीका इंटरनेट तथा अवांछित ईमेल है।

कंप्यूटर वायरस के प्रकार :-

1. Boot Sector Virus

2. Parasitic Virus

3. Link Virus

4. Macro Virus

5. Multipartite Virus

वायरस को नष्ट करने के लिए बनाए गए प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को एंटीवायरस कहा जाता है। इसमें ऑटो प्रोटेक्टर तथा रियल टाइम प्रोटेक्शन की सुविधा रहती है जो इंटरनेट से किसी फाइल का प्रयोग करने के पहले उसे जांच लेता है कि यह वायरस मुक्त है या नहीं। अगर फिर भी वायरस सिस्टम में सक्रिय हो जाता है, तो हमें पॉपअप विंडो के साथ सूचित कर देता है। जिसे हम एंटीवायरस के सिस्टम स्कैन चला कर हटा सकते हैं। कुछ समय के अंतराल पर पूर्ण सिस्टम स्कैन चलाकर हम कंप्यूटर को वायरस मुक्त रखने में सक्षम हो जाते हैं।

12. पासवर्ड (Password) : यह एक गोपनीय कोड है जो कुछ प्रोग्राम या दूसरे ईमेल में प्रविष्ट प्रतिबंधित करता है। इसके प्रयोग से हम कुछ प्रोग्राम, डाटा या ईमेल को सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह अंकों एवं शब्दों के सहयोग से बना होता है।

13. हैकर (Hacker) : वह व्यक्ति जो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अन्य व्यक्तियों के कंप्यूटर और कंप्यूटर नेटवर्क से जानकारी गैर कानूनी तरीके से उसे हानि पहुंचाने के लिए प्राप्त करते हैं उन्हें हेक्टर कहा जाता है।

14. सर्च इंजन (Search Engine) : सर्च इंजन वर्ल्ड वाइड वेब पर इंफॉर्मेशन की खोज करने के लिए विशेष प्रोग्राम है, जो specificed keywords के अनुसार, डॉक्यूमेंट को सर्च करता है। कुछ सर्च इंजन के उदाहरण निम्नलिखित हैं – गूगल, बिंग, याहू इत्यादि।

मल्टीमीडिया (Multimedia) :-

लोग आपस में अपनी बात कहने या एक दूसरे तक कोई सूचना पहुंचाने के लिए भिन्न-भिन्न माध्यमों की सहायता लेते हैं। यह माध्यम निम्नलिखित हो सकते हैं- AUDIO, VIDEO, SYMBOL, TEXT, ANIMATION इत्यादि।

मल्टीमीडिया अपनी बात यह सूचना को एक से अधिक माध्यम का उपयोग कर दूसरे तक पहुंचाना है। दूसरे शब्दों में ध्वनि, शब्द, ग्राफिक्स तथा एनिमेशन का एक साथ संपादित होना मल्टीमीडिया कहलाता है।एक मल्टीमीडिया आधारित कंप्यूटर में सारे आवश्यक Hardware and Software होने चाहिए जो इन सारे कार्यों को एक साथ करने में सक्षम हो सके।

मल्टीमीडिया सिस्टम के लिए आवश्यक हार्डवेयर एंव सॉफ्टवेयर :-

1. ग्राफिक्स एक्सेलरेटर कार्ड

2. सीडी रोम ड्राइव

3. साउंड कार्ड

4. माइक्रोफोन तथा कैमरा

5. मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर

मल्टीमीडिया का उपयोग :-

1. शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना (Education And Training)

2. व्यापार (Business)

3. मनोरंजन (Entertainment)

4. विज्ञान (Science) इत्यादि।

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